टाइम्स ऑफ़ क्राइम // देवराज डेहरिया
सिवनी। विगत 13 फरवरी को सिवनी जिले में प्राकृतिक प्रकोप से हुई ओलावृष्टि से किसानों की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। वहीं जन-धन की भी हानि हुई है। जिसके चलते जिले के अन्नदाता मानसिक एवं आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुका है। वहीं इस विपदा की घड़ी में केन्द्र एवं राज्य में बैठी भाजापा सरकार की तरफ किसान आशा भरी निगाहों से देख रहा है। कि शायद प्रदेश के मुखिया किसानों के जख्मों में मरहम लगायेंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार ज्ञात होवे कि किसानों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुये उल्लेख किया है कि विगत दिनों हुई भारी ओलावृष्टि से हमारे खेतों की खड़ी फसल पूर्णतः नष्ट हो चुकी हैं। साथ ही उन्होने कहा है कि पूर्व में दिनांक 18 फरवरी को समस्त किसानों द्वारा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया था जिसमें स्पष्ट उल्लेख करते हुये किसानों ने चेतावनी दी थी कि यदि 25 फरवरी तक सभी किसानों की मांगें पूरी नहीं की जाती है तो समस्त किसानों द्वारा भूख हड़ताल की जावेगी। परंतु किसान हितेशी होने का दावा करने वाली मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की उक्त मांगों को नजर अंदाज किया गया। जिसको लेकर आक्रोषित किसानों द्वारा दिनांक 26 फरवरी से 28 फरवरी तक क्रमिक अनशन एवं मांगे पूरी न होने कि दशा में तीन दिवस के पश्चात अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल की जा रही है।
ज्ञात होवे कि कृषि के क्षेत्र में मिनी पंजाब कहलाने वाले पलारी क्षेत्र के सैकड़ों किसानों द्वारा अपनी समस्याओं के समाधान हेतु मुख्यमंत्री के नाम एस.डी.एम. केवलारी को ज्ञापन सौंपा गया। उक्त ज्ञापन में उन्होने प्रदेश के मुखिया से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर उल्लेख किया है कि सर्वप्रथम किसानों के मकानों में भारी क्षति हुई है जिसे तत्काल सहायता प्रदान की जावे एवं मरम्मत की राशि न्यूनतम पचास हजार प्रति परिवार प्रदान की जावे जावे, वहीं क्रमशः दूसरी मांग ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों का कर्ज माफ किया जावे, एवं नवीन क्रेडिट कर्ज प्रदान किया जावे, तीसरी मांग ओलापीड़ित किसानों को एक वर्ष तक निःशुल्क खाद्यान प्रदान किया जावे एवं टोकन पर्ची सेवा सहकारी समिति एवं ग्राम पंचायत के माध्यम से प्रदान की जावे, चौथी मांग ओलापीड़ित किसानो को सहायता राशि एवं बीमा राशि न्यूनतम एक लाख रूप्ये प्रति हेक्टयर प्रदान की जावे, पांचवी मांग लघु एवं सीमांत अधिक भूमि किसानों को सामान्य रूप से राहत राशि शासन द्वारा प्रदान की जावे, छटवी मांग खरीफ फसल वर्ष 2017 सोयाबीन में हुई क्षति की बीमा राशि एवं राहत राशि तत्काल प्रदान की जावे
सातवी मांग किसानों एवं कृषि मजदूरों को शासन द्वारा एक वर्ष तक निःशुल्क बिजली प्रदान की जावे, आठवी मांग ग्रामों के ओलापीड़ित किसानों का एक वर्ष तक सिंचाई बिल माफ किया जावे, नवमी मांग प्राईवेट स्कूलों की बच्चों की स्कूल फीस माफ की जावे, दसवी मांग मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में ओलापीड़ित किसानों के बेटा एवं बेटियों को विवाह हेतु सहायता राशि न्यूनतम पचास हजार प्रदान की जावे, ग्यारहवी मांग खरीफ की फसल की बुवाई हेतु खाद बीज की व्यवस्था मुहैया कराई जावे, बारहवी मांग पशु आहार शासन द्वारा सेवा सहकारी समिति के माध्यम से निःशुल्क प्रदान किया जावे। साथ ही उन्होने ने ज्ञापन से जुड़े मुद्दो में उल्लेख करते हुये मुख्यमंत्री को यह भी आगाह कराया है कि विगत वर्ष 2017 में सोयाबीन की फसल पूरी तरह चौपट हो गई थी जिसकी राहत राशि की घोषणा मुख्यमंत्री एवं कृषि मंत्री के द्वारा कृषि उपज मंडी खैरा पलारी में की गई थी किन्तु वह राशि भी किसानों को अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। अतः भाजापा सरकार की इस जुम्लेबाजी से कृषक हताहत है।
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उल्लेखनीय है कि ज्ञापन में किसानों ने मुख्यमंत्री को उक्त मांगों को 28 फरवरी तक पूरी करने की चेतावनी दी है अन्यथा मांगे पूरी न होने की दशा में समस्त किसानों द्वारा 1 मार्च से आमरण अनशन (भूख हड़ताल) किया जावेगा। साथ ही उन्होने कहा है कि जब तक किसानों की उक्त मागें पूरी नही की जाती हैं। तब तक किसानों का आमरण अनशन जारी रहेगा। और अनशन के दौरान हुई क्षति हानि की सम्पूर्ण जबाबदारी शासन-प्रशासन एवं प्रदेश के मुखिया की होगी। अब देखना यह है कि किसान हितेशी होने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार किसानों पर आई विपदा की घड़ी में आगे आकर उनकी मांगों को लेकर कितनी सजगता से कदम उठाती है?