*यह पत्रकार सम्मेलन आपके लिए नहीं स्वयं के हित के लिए है*
कल 19 दिसंबर 2020 को भोपाल में पत्रकारों के नाम पर होने वाला कोई सम्मेलन नहीं बल्कि सज़ा याफ्ता अपराधियों का जमघट मात्र है ।
*पड़ोसी को जबरदस्ती अपना बाप* बताने वाले इन दलाल, हत्यारे, बलात्कारी, जालसाज़, ब्लैकमेलर और सज़ा याफ्ता तथाकथित नेताओं की सरकारी विज्ञापन रूपी खेरात़ बंद होने से भूखों मरने की नौबत आ गई है और *जनसंपर्क विभाग FIR करने जा रहा है* इसलिए देश के जाने-माने पत्रकार संगठनों के नाम पर पत्रकारों को इकट्ठा कर यह सरकार पर दबाव बनाने के प्रयास की घिनोनी चाल है जिसमें *IFWJ* और आइसना जैसे संगठनों के नाम पर अपने तथाकथित साथियों को इकट्ठा करके महा सम्मेलन का नाम दिया जा रहा है *IFWJ इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिश्ट का इस सम्मेलन कार्यक्रम से कोई लेना देना नहीं है। *IFWJ ने वर्ष 2013 से मध्य प्रदेश इकाई* को अपनी सम्बधता दे रखी है जिस के *प्रदेश अध्यक्ष सलमान खान हैं* और पूरे मध्य प्रदेश के जिले व संभाग इकाइयों में उनके सैकड़ों सदस्य साथी पत्रकारो के हित में कार्यरत हैं ।
*पड़ोसी को जबरदस्ती अपना बाप बताने वाले इस कार्यक्रम के आयोजक* अवधेश भार्गव और एमपी अग्रवाल मैं दम है तो सम्मेलन में आए उनके तथाकथित साथियों और भोले भाले पत्रकारों को यह बताएं कि उनका मध्य भारत बकिंग जर्न लिस्ट सघं कहां रजिस्ट्रङ् है और कब रजिस्ट्रर्ड हुआ पंजीयन प्रमाण पत्र की कॉपी और IFWJ ने उन्हें कब अपनी सम्बद्धता दी उसके प्रमाणपत्र की काफी सभी पत्रकारों को दें । मध्य भारत वर्किग जर्नलिस्ट नाम का कोई पत्रकार संगठन *रजिस्टार फर्म एंड सोसायटी मे रजिस्ट्रड ही नहीं है* आरटीआई से निकाली गई सत्यापित प्रति मेरे पास है और मैं उसे जबलपुर हाईकोर्ट में लगा चुका हूं ।
इसी तरह जहां तक मामला IFWJ का है तो इनके आका परमानन्द पाण्डे को भी वर्ष 2013 में मथुरा सम्मेलन में *IFWJ की वार्षिक राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक* के दौरान हुए मतदान में 40 के मुकाबले मात्र 3 वोट मिलने पर *परमानन्द पांडे, मलिकार्जुन और कृष्ण मोहन झा को धक्के मार कर IFWJ से निकाल दिया गया है ।* जिसके खिलाफ पांडे और उनके साथी दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट गए थे वहां भी तीन साल तक केस की पेशियां बड़वाते रहे *इस पर एक बार कोर्ट ने ₹1000 की पेनल्टी भी लगाई लेकिन अपने पक्ष में कोई तर्क,दलील या कागज पैश नहीं कर पाए तो वह केस भी कोर्ट से खारिज हो गया है।*
*यानी इनकी हालत धोबी के कुत्ते जैसी रही ना घर के ना घाट के,,,*
पत्रकारों के नाम पर भीड़ इकट्ठा कर *मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंद* की तर्ज पर माल इकट्ठा करने में माहिर इन तथाकथित नेताओं के बारे में प्रदेश के लगभग सभी पत्रकार साथी भली-भांति जानते हैं । पत्रकारों की समस्याओं और सुविधाओं से उनका कोई लेना देना नहीं है। *जनसंपर्क विभाग या सरकार उनके खिलाफ किए गए फर्जीवाड़े की FIR कर उन्हें जेल ना पहुंचा दें* इससे बचने के लिए वे पत्रकार सम्मेलन के नाम पर सरकार को भीड़ दिखाना चाहते हैं।
जिससे *होशयार रहें और पापी के साथ खड़े होकर पाप के भागीदार ना बने,,,*
रोचक तथ्य यह है कि अमूमन पत्रकार द्वारा जाने अनजाने में की गई रिपोर्टिग के मामले में फर्जी मुकदमे दर्ज करा कर उन्हें जेल भेजा जाता है लेकिन इन दोनों नेताओं का मामला अलग है यह पहले अवधेश भार्गव लाखों रुपे के गवन के मामले में और एन,पी,अग्रवाल हरदा में की गई हत्या के मामले में जेल की सजा काट चुके हैं उसके बाद उन्होंने पत्रकारिता शुरू की है यह बात बहुत सारे हमारे नये पत्रकार सांथी नही जानते,,,
*हमारी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी से मांग है कि जिस तरह आपने पूरे प्रदेश में माफिया के खिलाफ अभियान चला रखा है उसी तरह इस तरह के तथाकथित पत्रकारों और जनसंपर्क अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई कर उन्हें जेल में डालें और पत्रकारिता जैसे पैसे की पवित्रता बनाए रखने में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।*
*सलमान खान*
*प्रदेश अध्यक्ष*
IFWJ मध्य प्रदेश इकाई